19 APR 2018 AT 21:48

छलते हैं अपने
ही अकसर,
दर्द होता है क्या
ये पूछो ज़रा
उनसे,जो छले गए
हैं अपनों से और
जख्म सहते हैं मौन
रहकर,
हँसते-हँसते,,,purnima

- Jaahnashien