वो गुलाबो में बैठी रही,
उसने काँटों को छूकर नही देखा,
वो आसमां में उड़ती रही,
उसने जमीं पर आकर नही देखा,
वो उजालों में रही हर पल,
उसने अंधेरो में जाकर नही देखा,
वो बैठी रही किनारे पर,
गहरा ठहरा हुआ जल सोचकर,
मैं बहता हुआ दरिया हूँ,
उसने मुझमे उतरकर नही देखा।।
- Puneet The Devil