24 JUN 2017 AT 19:31

तुमने इतने उपवन तबाह कर डाले
पर मेरे पते पर एक फूल तक ना भेजा?
शायद तुम्हारे पैरों ने उन्हें कुचल डाला होगा
या फ़िर मेरी जैसी ही
किसी पागल की डायरी में पड़ा सूख रहा होगा...
तुम्हारी शायरियों को पढ़ कर आँसुओं से सींचता जी रहा होगा...
तुम्हारी बेहिसी को बड़े ही धोखे से छुपा रहा होगा.....

- Pratima