Priyanshu Kumar   (Priyanshu)
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Joined 5 November 2017


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12 OCT 2024 AT 0:55

जिंदगी के सफर में इम्तेहान काफी है
ढेर हैं ये पत्तों का और बेहिसाब माली हैं।
ढूंढते इसमें खुशियों के फूल
सारे हाथ खाली हैं।

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22 APR 2024 AT 0:23

जलता रहा औरों को रौशन करने
खुद की रौशनी ने जिंदगी मयस्सर ना होने दी,
जल रहा था दरिया की आश में
लोगों ने जलने दिया रोशनी की तलाश में ।

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24 APR 2021 AT 0:13

की उठती नहीं कलम
हाल-ए-दर्द क्या बयां करें,
कि ज़िन्दगी है बर्फ़ सी
और वक़्त की तपिस में
चन्द लम्हात कहाँ जमा करें।

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16 MAR 2021 AT 22:57

एक "शोर" सा था अंदर
एक खामोशी लिए,
मानो एक "रेगिस्तान" खड़ा
नदी के आगे अपनी बेबसी लिए।

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12 JAN 2021 AT 23:59

"शिक़ायत" हमें थी
"दर्द" वो बयां कर गए
हम तो ठहरे "काफ़िर"
लफ़्ज़ों के दर्मियां
बेवजह "फ़ना" हो गए।

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9 JAN 2021 AT 22:28

ज़िन्दगी ही तो है....
थोड़ा "दर्द" है
कभी दिल ये "सर्द" है
चाहत है इसकी सबको
ऐसा ये "मर्ज" है
ज़िन्दगी ही तो है....
कभी "वक़्त" के साथ सख़्त है
कभी खुशियां "हरव़क्त" हैं
ज़िन्दगी ही तो है....
जीनी "हरव़क्त" है





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26 DEC 2020 AT 22:32

"अपनों " की तलाश में हम
कितनी दूर निकल आए
खुद का "साया" था साथ ही,
"अंधेरों"में चलते-चलते
हम उन्हें ही छोड़ आए।

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20 AUG 2020 AT 1:05

"इंसान"

ख़ुद में लड़ता "शैतान" है
गौर से देख अक्स तो
दिखता वही "इंसान" है,
"मौत" से परे हैं
"उजालों" से डरे हैं
ख़ुद की दुनिया में
ख़ुद से लड़े हैं।

"उजालों" को खोजते
ख़ुद "अंधेरों" में खो गए
ख़ुद से हार कर
उन्हीं "अंधेरों" में सो गए,
"इंसान" ही तो थे
कभी अच्छे
कभी बुरे हो गए।


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19 JUL 2020 AT 2:38

खामोशियां ही आवाज है
टूटे उन दिलों की अल्फ़ाज़ है
बोल के भी चुप रह गए
दूसरों के दर्द खुद पे सह गए
टूटे उन दिलों की आवाज है।

जिनका इश्क आज भी
इन नम फिज़ाओं में आबाद है
इश्क एकतरफा ही सही
लेकिन उन दिलों में कुछ तो ख़ास है
खामोशियां ही तो इनकी आवाज है।

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14 JUL 2020 AT 13:21

"मंजिल" एक थी
रास्ते जुदा थे,
"मुसाफ़िर" ना जाने क्यों
उन रास्तों पे फ़िदा थे।

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