जिंदगी के सफर में इम्तेहान काफी है
ढेर हैं ये पत्तों का और बेहिसाब माली हैं।
ढूंढते इसमें खुशियों के फूल
सारे हाथ खाली हैं।-
Loves to write
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जलता रहा औरों को रौशन करने
खुद की रौशनी ने जिंदगी मयस्सर ना होने दी,
जल रहा था दरिया की आश में
लोगों ने जलने दिया रोशनी की तलाश में ।-
की उठती नहीं कलम
हाल-ए-दर्द क्या बयां करें,
कि ज़िन्दगी है बर्फ़ सी
और वक़्त की तपिस में
चन्द लम्हात कहाँ जमा करें।-
एक "शोर" सा था अंदर
एक खामोशी लिए,
मानो एक "रेगिस्तान" खड़ा
नदी के आगे अपनी बेबसी लिए।-
"शिक़ायत" हमें थी
"दर्द" वो बयां कर गए
हम तो ठहरे "काफ़िर"
लफ़्ज़ों के दर्मियां
बेवजह "फ़ना" हो गए।
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ज़िन्दगी ही तो है....
थोड़ा "दर्द" है
कभी दिल ये "सर्द" है
चाहत है इसकी सबको
ऐसा ये "मर्ज" है
ज़िन्दगी ही तो है....
कभी "वक़्त" के साथ सख़्त है
कभी खुशियां "हरव़क्त" हैं
ज़िन्दगी ही तो है....
जीनी "हरव़क्त" है
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"अपनों " की तलाश में हम
कितनी दूर निकल आए
खुद का "साया" था साथ ही,
"अंधेरों"में चलते-चलते
हम उन्हें ही छोड़ आए।-
"इंसान"
ख़ुद में लड़ता "शैतान" है
गौर से देख अक्स तो
दिखता वही "इंसान" है,
"मौत" से परे हैं
"उजालों" से डरे हैं
ख़ुद की दुनिया में
ख़ुद से लड़े हैं।
"उजालों" को खोजते
ख़ुद "अंधेरों" में खो गए
ख़ुद से हार कर
उन्हीं "अंधेरों" में सो गए,
"इंसान" ही तो थे
कभी अच्छे
कभी बुरे हो गए।
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खामोशियां ही आवाज है
टूटे उन दिलों की अल्फ़ाज़ है
बोल के भी चुप रह गए
दूसरों के दर्द खुद पे सह गए
टूटे उन दिलों की आवाज है।
जिनका इश्क आज भी
इन नम फिज़ाओं में आबाद है
इश्क एकतरफा ही सही
लेकिन उन दिलों में कुछ तो ख़ास है
खामोशियां ही तो इनकी आवाज है।-
"मंजिल" एक थी
रास्ते जुदा थे,
"मुसाफ़िर" ना जाने क्यों
उन रास्तों पे फ़िदा थे।-