Priyanshi Hardaha   (प्रियांशी)
977 Followers · 287 Following

When emotion flows we are bound to write....
Joined 26 January 2018


When emotion flows we are bound to write....
Joined 26 January 2018
18 OCT 2021 AT 21:37

The moonlight is very bright
So that I can't hide my tears
Even these eyes are so heavy
As if they want to show
What they bear...
In this moonlight everything is
So clear.... So yeah!
I don't wanna be clumsy anymore
I don't wanna hide anything anymore
Yeah I'm crying in this moonlight
And my face is shining...
And becoming brighter and brighter
So as my heart is becoming lighter
I'm enjoying this moonlight
Which is still very bright.

-


4 OCT 2021 AT 16:32

फिर ये अचानक
बदलाव कैसा
बाहर से देखने में तो
सही सलामत ही लगते हो
फिर दिल में गहरा घाव कैसा
और क्या क्या छिपा रखा है
अपने मन के तहख़ाने में
ये भरी दोपहरी में भी
घर के भीतर अलाव कैसा
तुम तो ऐसे न थे
ये बदलाव कैसा?

-


24 SEP 2021 AT 16:12

तुम ढूंढते हो मुझे तो लगता है

जैसे मैं यहीं कहीं हूं

इन वादियों में उन चोटियों पर

उस धार में इन टीलों पर, पर

जब मैं आवाज़ लगाता हूं खुद को

तो लगता है जैसे मैं कहीं नहीं हूं

न इन फूलों पर न इन हवाओं में

न उन गलियारों में न ही इस बहाव में

तुम्हारा भाव ही मुझे मायने देता है

तुम्हारा प्रेम ही मेरा अस्तित्व है।

-


22 SEP 2021 AT 17:05

हर बार एकदम साफ़ दिखाई देता है
कि कुछ तो कहती हैं वो चमकती आँखें
पर मैं कभी समझने की कोशिश नहीं करती
कई बार ज्यादा दिमाग़ लगाने से
चीजें बिगड़ जाया करती हैं फिर भी
इक जुड़ाव सा महसूस होता है
जैसे सदियों पुराना कोई नाता हो ।

-


13 SEP 2021 AT 22:58

धरी रह जाती हैं
और सपने
जैसे पंख लगाकर
कहीं दूर उड़ जाते हैं
रास्ते खुलते ही
दरवाज़े बंद हो जाते हैं
खामोशी गूंजती है
सन्नाटे मंद हो जाते हैं
हम चलते हैं रास्तों में
कभी रास्ते तो कभी
हम खो जाते हैं और
ये ज़ख्म बड़े चालबाज़ हैं
हमें जगाकर खुद सो जाते हैं
हम भी इस रात की तरह
ढलते हैं और इक रोज़
सुबह हो जाते हैं।

-


2 SEP 2021 AT 20:06

Your voice, It
keeps repeating itself
Just like you are
Still calling for me
That last interaction
Of ours never fades
Even I got confused
That memory seems
So real sometimes.

-


2 SEP 2021 AT 17:58

तो अंधेरा मिटना चाहिए
हो ये मंशा कि बदले तो
मेरी सीरत बदलनी चाहिए
कोई गम कोई दुःख हो तो
उससे उबरना चाहिए और
जितनी दफा भी दुआ करूं
मानव के हक में होनी चाहिए
शाम का दिया जो जले तो
ये अंधेरा मिटना चाहिए।

-


30 AUG 2021 AT 22:46

"पाती"

इक आस जो रोज़ जगती है
और फिर सो जाती है
कोई पाती जो मेज से झगड़कर
हवा में कहीं खो जाती है
मैं रोज़ तलाशता हूं उसे पर वो
मुझे आवाज़ देकर कहीं छिप जाती है
जैसे चलती हुई सांस अचानक
तुम्हारे नाम पर रुक कर आती है
कभी लगता है परिंदे कम हैं
और शोर ज्यादा है फिर लगता है
तुम आंखें नहीं मिलाते कभी, कहीं
तुम्हारे मन में सच कम और चोर ज्यादा है
खैर घर की बात है और फिर
दिन भी वही और वही रात है
किसी के साथ बैठकर आंगन में
सेंकी हुई धूप जब कई दिनों तक लगती है
तो लगता है जैसे कुछ तो बात है
जैसे मुझमें मैं कम हूं और
मुझसे ज्यादा जज्बात हैं
खैर गलतफहमी है हो ही जाती है
इक आस जो जगती तो है फिर सो जाती है
कोई पाती जो उड़कर कहीं खो जाती है।


-


30 AUG 2021 AT 22:24

इस बांसुरी का मोह जाता नहीं

इसे सांवरे के सिवा कोई और भाता नहीं

कहने को तो ये रिक्त है पर

जब उनका संगीत इसे छूकर निकलता है

तो इससे मधुर कोई और गाता नहीं

ये बांसुरी मनमोहन के मोह में लिप्त है

इसे संगीत के सिवा कुछ और आता नहीं

-


29 JUL 2021 AT 13:12

और फिर इरादा बदल जाता है
हम रोज़ तय करते हैं कि
खुद को बदलेंगे और फिर
मन बदल जाता है

-


Fetching Priyanshi Hardaha Quotes