The moonlight is very bright So that I can't hide my tears Even these eyes are so heavy As if they want to show What they bear... In this moonlight everything is So clear.... So yeah! I don't wanna be clumsy anymore I don't wanna hide anything anymore Yeah I'm crying in this moonlight And my face is shining... And becoming brighter and brighter So as my heart is becoming lighter I'm enjoying this moonlight Which is still very bright.
फिर ये अचानक बदलाव कैसा बाहर से देखने में तो सही सलामत ही लगते हो फिर दिल में गहरा घाव कैसा और क्या क्या छिपा रखा है अपने मन के तहख़ाने में ये भरी दोपहरी में भी घर के भीतर अलाव कैसा तुम तो ऐसे न थे ये बदलाव कैसा?
हर बार एकदम साफ़ दिखाई देता है कि कुछ तो कहती हैं वो चमकती आँखें पर मैं कभी समझने की कोशिश नहीं करती कई बार ज्यादा दिमाग़ लगाने से चीजें बिगड़ जाया करती हैं फिर भी इक जुड़ाव सा महसूस होता है जैसे सदियों पुराना कोई नाता हो ।
धरी रह जाती हैं और सपने जैसे पंख लगाकर कहीं दूर उड़ जाते हैं रास्ते खुलते ही दरवाज़े बंद हो जाते हैं खामोशी गूंजती है सन्नाटे मंद हो जाते हैं हम चलते हैं रास्तों में कभी रास्ते तो कभी हम खो जाते हैं और ये ज़ख्म बड़े चालबाज़ हैं हमें जगाकर खुद सो जाते हैं हम भी इस रात की तरह ढलते हैं और इक रोज़ सुबह हो जाते हैं।
Your voice, It keeps repeating itself Just like you are Still calling for me That last interaction Of ours never fades Even I got confused That memory seems So real sometimes.
तो अंधेरा मिटना चाहिए हो ये मंशा कि बदले तो मेरी सीरत बदलनी चाहिए कोई गम कोई दुःख हो तो उससे उबरना चाहिए और जितनी दफा भी दुआ करूं मानव के हक में होनी चाहिए शाम का दिया जो जले तो ये अंधेरा मिटना चाहिए।
इक आस जो रोज़ जगती है और फिर सो जाती है कोई पाती जो मेज से झगड़कर हवा में कहीं खो जाती है मैं रोज़ तलाशता हूं उसे पर वो मुझे आवाज़ देकर कहीं छिप जाती है जैसे चलती हुई सांस अचानक तुम्हारे नाम पर रुक कर आती है कभी लगता है परिंदे कम हैं और शोर ज्यादा है फिर लगता है तुम आंखें नहीं मिलाते कभी, कहीं तुम्हारे मन में सच कम और चोर ज्यादा है खैर घर की बात है और फिर दिन भी वही और वही रात है किसी के साथ बैठकर आंगन में सेंकी हुई धूप जब कई दिनों तक लगती है तो लगता है जैसे कुछ तो बात है जैसे मुझमें मैं कम हूं और मुझसे ज्यादा जज्बात हैं खैर गलतफहमी है हो ही जाती है इक आस जो जगती तो है फिर सो जाती है कोई पाती जो उड़कर कहीं खो जाती है।