25 MAR 2018 AT 0:00

राज आँखों ने खोले हजारों तेरी
क्यूँ शरम से तू नज़रें झुकाने लगा
दिल पर नहीं कोई इख़्तियार तेरा
इल्ज़ाम सारे हमीं पर लगाने लगा
अदा तेरी ही,जानलेवा थी ऐ सनम
क्यूँ ज़माने को क़ातिल बताने लगा
इश्क़ तुझको हुआ,गुनाह तूने किया
नाम लेके हमारा क्यूँ सबको को बताने लगा
तेरी बातों का कोई असर न हुआ
फिर भी हमको क्यूँ तू आज़माने लगा




- प्रियू✍