तुझे याद रखूं या भूल जाऊं, इंतज़ार करूं या आगे बढ़ जाऊं, गुजरे लम्हों का ग़म मनाऊं, या आने वाले पल का ज़श्न मनाऊं, बस इतना बता कि तुझ सी मोहब्बत, मैं उस से कैसे निभाऊं ?
तो उसे निभाइए ज़रूर क्यों की बेवजह किसी से वादे किए नहीं जाते गर कर ही दिया है कोई वादा तो दे वक़्त का हवाला वादा झुटलाया नहीं जाता क्योंकी कोई है बैठा सहेजे वादे को तुम्हारे....
कुछ टूटे टुकड़े है मेरे दिल के हो जरा सा भी वक़्त तुम्हें कभी तो ले जाके फेंक देना कचरे के ढेर में इन्हें क्योंकि हर रोज पैरों पे चुभते है मेरे और लाल सा रंग बह जाता है आंखों से मेरे इन टुकड़ों का कोई मोल नहीं है अब जिसे भी छुएंगे घाव दे जाएंगे सो बेहतर यही होगा कि इन टुकड़ों को फेंक दिया जाए क्योंकि होगा नहीं टूटा कोई मेरी तरह जो मेरे दिल के टूटे टुकड़ों से जुड़ सके और जिसके दिल के टुकड़ों से मैं जुड़ जाऊ....