भटकता हुआ......कठपुतली की तरहनाचता हुआ ..बिना किसी स्वप्न केबस चलता हुआ... -
भटकता हुआ......कठपुतली की तरहनाचता हुआ ..बिना किसी स्वप्न केबस चलता हुआ...
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अनुगच्छतु प्रवाहं Go with the flow -
अनुगच्छतु प्रवाहं Go with the flow
मिलें तो सगळ्ले हैपण आपा एक तो राजस्थानीऊपर से मेहनतीढंको तो बाजणु ही है -
मिलें तो सगळ्ले हैपण आपा एक तो राजस्थानीऊपर से मेहनतीढंको तो बाजणु ही है
भोर के उजाले सी शुरू होती हुई,दोपहर की चिलचिलाती धूप में तपती हुई फिर सें शाम को भोर के उजाले की उम्मीद में कटती जिन्दगी!! -
भोर के उजाले सी शुरू होती हुई,दोपहर की चिलचिलाती धूप में तपती हुई फिर सें शाम को भोर के उजाले की उम्मीद में कटती जिन्दगी!!
साखो के पत्ते क्या झड़े....परिन्दो ने घोसलों का पता ही बदल दिया! -
साखो के पत्ते क्या झड़े....परिन्दो ने घोसलों का पता ही बदल दिया!
बस ख्वाहिश उनकी इतनीएक कप चाय मेरे शहर की! -
बस ख्वाहिश उनकी इतनीएक कप चाय मेरे शहर की!
थोड़ो तों समझर बोलो रिश्ता तो यूं हीं बैठ्या हैंआजकल बारूद की ठेरी पर ....तुली लिया हाथा में लोगसाग्य ही खड्या मिल हैथोड़ा तो बच क बोलोथोड़ा तो भरोसा म बोलो!! -
थोड़ो तों समझर बोलो रिश्ता तो यूं हीं बैठ्या हैंआजकल बारूद की ठेरी पर ....तुली लिया हाथा में लोगसाग्य ही खड्या मिल हैथोड़ा तो बच क बोलोथोड़ा तो भरोसा म बोलो!!
पिहुं पिहुं बोल पपिहा फागण मं हरसायो राज!केसर सी क्यारा लहराईचंग पर थाप नचावे राज !फाग बसंती सुण क मोरियाहरष हरष रंग डारयो राज ! -
पिहुं पिहुं बोल पपिहा फागण मं हरसायो राज!केसर सी क्यारा लहराईचंग पर थाप नचावे राज !फाग बसंती सुण क मोरियाहरष हरष रंग डारयो राज !
अकस्मात हीकभी कभी खिंच जाती है। कुछ रेखाएँ .....जो बन जाते है..उन भावनाओं के रेखा चित्रजिनमें जीवन भर.....हम खुद ही भटकते रहते हैं ! -
अकस्मात हीकभी कभी खिंच जाती है। कुछ रेखाएँ .....जो बन जाते है..उन भावनाओं के रेखा चित्रजिनमें जीवन भर.....हम खुद ही भटकते रहते हैं !
संघर्ष का समय सबसे लम्बा और कठिन जरूर होता है,पिछे मुड़ के देखो सबसे खुबसूरत पल भी वही होते हैंl -
संघर्ष का समय सबसे लम्बा और कठिन जरूर होता है,पिछे मुड़ के देखो सबसे खुबसूरत पल भी वही होते हैंl