*ग़लत*को "ग़लत" कहने में *ग़लत* क्या है.?
*ग़लत* को "सही" कहना क्या *ग़लत* है..??
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क्या खामोश रहना *सही* होगा या *ग़लत*..!?
बस इस *सही* और *ग़लत* के फ़ैसले में
तू उलझ सी गई है ज़िंदगी.. तो अब तू ही बता
की तुझे यूंही उलझा हुआ छोड़ दूं तो "सही"होगा या "ग़लत".. और
कहीं तुझे सुलझाने में कुछ "ग़लत" हो गया तो उसे * *सही* करेगा कौन..!!??🙄
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