इश्क का धागा, चलिए साथ पिरोते है। जो गाठ लगी है, चलिए साथ खोलते है। साथ निभाने का वादा एक तरफ, दूजी तरफ वादे को संभाले; रखने का वादा करते है। इश्क का धागा, चलिए कुछ इस तरह पिरोते है।।
मुद्दत बाद नज़र आया, एक शख्स मुझसा नज़र आया। चेहरा वही पर लब्ज़ खामोश सा पाया, आंखे नम पर किरदार हसता हुआ पाया। मुद्दत बाद नज़र आया, एक शख्स मुझसा नज़र आया।