Prit   (~प्रेम)
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write to express...
Loves the nature.
Loves the life.
Wish me on 28th September
Joined 6 October 2017


write to express...
Loves the nature.
Loves the life.
Wish me on 28th September
Joined 6 October 2017
5 DEC 2022 AT 5:27

उसने पढली थी शायद मेरे मन की बातें
हुबहु वैसा ही है, जैसे मैंने सोचा था

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11 NOV 2022 AT 13:43

... ... ... तुझे माझे नाते !!
देवालाच ठाऊक काय होते?
जे होते, ते छान होते...!
एवढ्या लवकर संपायला नको होते.

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5 SEP 2022 AT 14:03

तुमचं जीवन जगणं जर सार्थ नसेल तर जगण्याला काय अर्थ आहे? आणि जर जगण्याला अर्थ नसेल तर तुमचं मरण ही व्यर्थ आहे

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19 AUG 2022 AT 2:50

कान्हा नको देऊस कधी अंतर
तू डोळ्यांत रहा माझ्या निरंतर

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4 AUG 2022 AT 0:47

दर किनारे
किसी को न करना यारों
मुश्किल वक्त से
हर किसी को
गुजरना पडता है

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21 JUL 2022 AT 5:05

मौत की है किसे फिक्र
वो तो इक दिन आनी ही है
जिंदा है तू आज ये बहोत है
जरा ढंग से जिंदगी तू जी ले

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21 JUL 2022 AT 4:51

अशी कशी रे तुझी प्रीती?
साथ सोडून जाशी अर्ध्यावरती?
सोबतीच्या आणाभाका
त्यांना काहीच अर्थ नाही का?
ह्रदयात तू श्वासात तू,
नजरेत तू ध्यासात तू
सांग कसे विसरू तुला
माझ्या रोम रोमांत तू

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28 MAY 2022 AT 1:36

रोज चाँद को देखना मेरा शौक था और आज भी है| उभे देखते देखते मन ही मन बात भी किया करती थी|पर कहाँ मालूम था की चाँद की तरह मेरी जिंदगी बेदाग नहीं रहेगी|

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27 MAY 2022 AT 10:13

बस समझौता ही करते आए है ज़िंदगी से
फिर भी अभी तक मायूस नहीं है ज़िंदगी से

उम्मिद अब भी है बाकी, ऐ ज़िंदगी तुझसे
देर से ही, होगा सही, बेबस नहीं ज़िंदगीसे

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24 MAY 2022 AT 20:44

जिंदगी ऐसी क्यों होती है?
क्यों इतने इम्तहाँ लेती है?
कभी तो रहम कर ऐ जिंदगी
नहीं चाहिए मुझे कोई बंदगी

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