वह जब भी कहती हैं ,दिल बहुत उदास है,
तब मैं सतर्क हो जाता हूं ।
तब मुझे लगता है कि अब वह खुद को
खुश कर नहीं कर पा रही हैं अब मुझे कुछ करना होगा।
फिर मैं उसे सताता हूं, थोड़ा गुदगुदाता हूं ,
उसे उसकी उदासी की हंसी चुरानेवाली सोच से ,
बोहोत दूर ले जाता हू ।
कुछ नई बातें बताता हूं , कुछ नए किस्से
सुनाता हूं , फिर मुझे जब लगता है कि उसका
हंसना पक्का है, तो छोटा सा एक चुटकुला
खुदपर कह, मैं बस चुप हो जाता हूं ।
फिर वह इतना हंसती है की उसे देखकर में
खुद को भूल जाता हूं । वह हंसती रहे, वह खुश
रहे , यह बात में दिल मे दोहराता हूं ।
बंद होठों से दिल की गहराइयों से बस यही दुआ पहोचाता हू ।

- ©vibrant.writer