जब मैं उसके मासूम चेहरे को,
उसकी नाज़ुक अदाओं को,
उसकी कातिल आंखों को,
या उसके चासनी में डूबे हुए होठों को,
शब्दों में पिरोने की कोशिश करता हूं,
तो हर बार वह कहती है -
" तुम बोल कर भूल जाया करते हो,
तुम ऐसा क्यों नहीं करते, डायरी बना लेते "
फिर मैंने भी एक बार कह दिया -
"पगली डायरी से काम नहीं चलेगा,
तुझे लिखूंगा तो लाइब्रेरी कम पड़ जाएगी ।"

- ©vibrant.writer