बढ़ते कदम,पतझड़ सड़क और ज़िंदा दिल
खोई आँखें,बिछड़ते सपन और आकर मिल
सज़ा मकान, मिलता मुकाम और ज़िंदा दिल
जगमगाते बाज़ार,सूना शहर और आकर मिल
लंबा सफ़र,ढूँढता मंज़िल और ज़िंदा दिल
पूरा चाँद,ममता का आँचल और आकर मिल
बनता मिराज,रेत भरी मुट्ठी और ज़िंदा दिल
नम आँखें, बीतता सहर और आकर मिल
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