पांच महारथियों का भाई ,था फिर भी अकेला
सूर्य पुत्र,होकर भी सुत पुत्र थी पहचान
जो दोस्ती को दिया धर्म से उचा स्थान
दानों में दानवीर, "कर्ण" था उसका नाम
खुद कृष्ण ने जिसका सामर्थ जाना
अर्जुन का रथ कहा रोक पता वाड़ का वार
उस प्रकोप से बचाने , हनुमान को धरती पे उतारा
ऐसा था राधेय की वीरता की गुनगान
अर्जुन को मिली जीत,पर यकीन ना मिला
खून से लथपथ कर्ण था,फिर भी अर्जुन असहज दिखा
रोक ना पाए कृष्ण भी आँखों का पानी
कुछ ऐसी थी कुन्ती पुत्र कर्ण की कहानी।
धर्म का ज्ञानी ,पर अधर्म का साथ
कुछ ऐसा बना देता है प्रतिशोध की आग
जो था पूरे महाभारत का सबसे होनहार
भूल गया अन्तः रणभूमि में सब अपना ज्ञान।
कोई याद करे भी तो किस रूप में
जिसको हराने के लिए भी खुद ईस्वर को
लेना पड़ा झल कपट का मार्ग
ये है महान अंगराज ,वीर छत्रिय लाल की दास्तान।
- Silent_Soul