12 APR 2018 AT 17:11

डूबे खयाल ढ़ूंढ़ रहा, जिस तालाब में गम है।
अरसों बाद लम्हों ने‌ आदर फरमाया है।

अतीत अब भी है, उसमे जान कम है।
बेजान महफिल को भी मैंने सादर बनाया है।

इस रूखी हवा में प्रेम ‌की आँखें नम हैं।
यादों के पन्नों को जो चादर बनाया है...।

- अनुराग