Dark Shade of White....
कभी कभी आप केवल तिरस्कार के भागी होते है।
अंदर-बाहर हर तरफ़।
रहते आप सफ़ेद है पर...
जगह-जगह आपको काला दिखाने का प्रयास किया जाता है।
हर दिन, हफ्ते, महीने, साल दर साल।
लोग आपसे खफ़ा हो जाते है...
लोगों के स्वार्थपूर्ण इच्छाओं के अनुरूप
आप खरा नहीं उतरते।
आप दुश्मन बन जाते है, बेवजह।
अपने लगने वाले परायों के।
व्यंग के आवेश में समाते है...
लोग बेवजह आपके मजे लेने की कोशिश करते है।
सब देखकर...आप चुप रहते है...
मौन, ज्यादा मौन और ज्यादा मौन।
शायद आप विरले प्रजाति के है।
हताश, निराश... क्यों? पता नहीं।
खामोशी, चुप्पी... हर बार।
कोई आपके साथ नही रहता... आपके अपने भी शायद।
आप खुद के दुश्मन बनते जाते है।
युद्ध, द्वंद...बार-बार लगातार।
आप ख़ुद से घृणा करने लगते है।
अकेले पड़ जाते है...
सभी से दूर, और दूर, ज्यादा दूर।
सफर में, उलझे हुए है आप!
मृत्यु भी आपका आलिंगन करना नहीं चाहती।
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