जहा ना किसी के रूठने की चिंता,जहा ना किसी से बिछड़ने का डर,जब मन करे तब याद करने की आज़ादी,ना बार बार खुदा से माँगना,बस याद करना और मुस्कुरा देना...इस तरह की मुहब्बत की अलग ही बात होती है जनाब। - प्रेम कुमाऊँनी
जहा ना किसी के रूठने की चिंता,जहा ना किसी से बिछड़ने का डर,जब मन करे तब याद करने की आज़ादी,ना बार बार खुदा से माँगना,बस याद करना और मुस्कुरा देना...इस तरह की मुहब्बत की अलग ही बात होती है जनाब।
- प्रेम कुमाऊँनी