Praval Jat   (प्रवल *आकाश*)
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Joined 21 December 2017


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13 AUG 2023 AT 15:38

बड़ा गुमान है अपने इस हुनर पर तुम्हे,
जब दिन हमारा हो ले आना अपना हुनर तुम।
तुम्हारे मुंह से भी बस यही निकलेगा,
दिन सामने वाले का हो हुनर काम नहीं आता।

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31 JUL 2023 AT 21:32

जब भी कर्म और भावनाओं में से किसी एक को चुनना हो तो, हमेशा कर्म को चुनना।
भावनाएं अक्सर बस सैलाब की तरह होती है, आके लौट जाती है, पर कर्म हमेशा रहते है। आपके साथ आपके विश्वसनीय साथी की तरह।

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25 JUN 2023 AT 18:04

जाना नहीं है उस तरफ
जिधर मंजिल सामने हो।
मैं तो उस सफर का राही हूं
जहां रास्ता खत्म नहीं होता।

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12 APR 2023 AT 18:04

देकर दो रोटी किसी गरीब को
खींच ली हमने सेल्फी।
और गुमान ये की हम
इंसान से भगवान हो गए।

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12 APR 2023 AT 17:56

जैसे आज ही की कहानी लगती है,
कोई छांव सुहानी लगती है।
मेरे दिल में हरदम मुस्कुराती है वो,
कब ये बात पुरानी लगती है।

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15 JAN 2023 AT 7:19

मन कहे

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31 DEC 2022 AT 14:14

बिना कुछ कहे ऐसे किया शर्मिंदा उसने,
दिया भी बहुत कुछ और जताया भी नहीं।

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5 OCT 2022 AT 23:06

बेटी प्यारी राजदुलारी।
जैसे हुए कुछ पल ही तुझे आए हुए।
जैसे अभी देखा पहली बार मुस्कुराए हुए।
बेटी प्यारी राजदुलारी।
बीते साल खुशियों की इंतहा कहाँ हुई।
तेरे आगे सुबह कहां हुई रात कहां हुई।।
बेटी प्यारी राजदुलारी।
उदासी हताशा निराशा भूल गया हूं मैं।
मिली खुशियां इतनी खुद को भूल गया हूं मैं।
बेटी प्यारी राजदुलारी।
ये पहली वर्षगांठ पहला पायदान है।
मेरा सम्पूर्ण जीवन तुमसे उदयमान है।
बेटी प्यारी राजदुलारी।

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4 SEP 2022 AT 13:47

सफर करो सफर
थमने में मजा कहां।
अंतरात्मा झूम उठेगी
जब घूम लोगे सारा जहां।

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28 AUG 2022 AT 22:26

दर्द बढ़े है धीरे धीरे
उन्ही की दुआ का असर पड़ेगा
जान निकले है धीरे धीरे

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