18 JUL 2018 AT 2:27

भावनाऐं शून्य है
संवेदनाएं समाप्त है
महसूस भी नहीं होता कुछ अब
यहा शिथिल पडें जज्बात है।
चोट से दर्द नही होता
मेरी जिन्दगी ही जख्म है
रूदन से उदास नहीं होती
वो मेरी जिंदगी का नज्म है।
रौशनी नही है साथ मेरे
वो डर गई अंधकार से
मुझे डर किस बात का
मुझमें बसे अमावस्या हजार हैं।।

- Solitary