22 JAN 2018 AT 3:44

मेरी मेहनत का असर बाकी है ,
या शायद कोई कसर बाकी है ,

डाल पे बैठे परिंदे मारे गए सारे ,
जो ऊँचा उड़ा वो इधर बाकी है ,

शाखों से लटक झूलते थे जिसके ,
हाँ अब वो पेड़ ही किधर बाकी है ,

हर मुश्किल भी चैन से कटती है ,
मुझपे माँ-बाप की नज़र बाकी है ,

घटा के मुझसे जोड़ दे माँ-बाप में ,
खुदा जितनी भी ये उमर बाकी है ।

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