कुछ अपने बैठे हैं और कुछ पराये बैठे हैं ,कुछ लोग जो खफा हैं नज़रें चुराए बैठे हैं ,हम आये थे इस महफ़िल में देखने जिसे ,वो तो दुप्पटे से अपना चेहरा छुपाये बैठे हैं । -
कुछ अपने बैठे हैं और कुछ पराये बैठे हैं ,कुछ लोग जो खफा हैं नज़रें चुराए बैठे हैं ,हम आये थे इस महफ़िल में देखने जिसे ,वो तो दुप्पटे से अपना चेहरा छुपाये बैठे हैं ।
-