चार पहर तेरा असर ,कुछ ना कुछ रहता ही है
ना भी सोचूं,रग में तेरा अंश कुछ बहता ही है
चार पहर तेरा असर कुछ ना कुछ रहता ही है
ये पहर तेरे शहर का,भी तो हिस्सा होगा ही
साथ तेरे बीतता,ऐसा सा किस्सा होगा ही
कह दे दिल तेरा भी,पल-पल दूरियां सहता ही है
चार पहर तेरा असर, कुछ ना कुछ रहता ही है
- Dr.प्रसून तिवारी "गर्दिश