28 DEC 2017 AT 14:09

लाख साजिश रची , मुझे बदनाम करने की,
पर मेरे चाहने वालों की कतार आज भी है,
क्या पता तुम्हे ऐ नसमझे लोगों,
कि मिटती नही खूसबू 'प्रसून' की,
जो मेरे कहे हुए लफ्जों की सुगंध आज भी है।।



- "Unborn Writer" प्रसून