लाख साजिश रची , मुझे बदनाम करने की, पर मेरे चाहने वालों की कतार आज भी है, क्या पता तुम्हे ऐ नसमझे लोगों, कि मिटती नही खूसबू 'प्रसून' की, जो मेरे कहे हुए लफ्जों की सुगंध आज भी है।। - "Unborn Writer" प्रसून
लाख साजिश रची , मुझे बदनाम करने की, पर मेरे चाहने वालों की कतार आज भी है, क्या पता तुम्हे ऐ नसमझे लोगों, कि मिटती नही खूसबू 'प्रसून' की, जो मेरे कहे हुए लफ्जों की सुगंध आज भी है।।
- "Unborn Writer" प्रसून