PrasHant SheKhar   (PrAsHaNt)
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निश्छल भाव से कर्म किये जाओ क्योंकि इस धरा का इस धरा पर सब धरा ही रह जायेगा
Joined 16 July 2017


निश्छल भाव से कर्म किये जाओ क्योंकि इस धरा का इस धरा पर सब धरा ही रह जायेगा
Joined 16 July 2017
19 JUL 2021 AT 16:37

चाँद-सितारे मेरे पास थे
अब बैठा हुआ सोच रहा हूं
तुम आम थे कि खास थे

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19 JUL 2021 AT 0:29

काश की कोई गांठ लगा देता उन धागों में
जो गलतफहमियों की वजह से टूटे पड़े थे

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16 JUN 2021 AT 20:28

हम जैसों की जगह ही कितनी बचती थी
हम जैसों का मिलना क्या, बिछड़ना क्या

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19 MAR 2018 AT 9:37

जो दर्द देता है, वही दवा देता है,
पता नही ऐसी बातों को कौन हवा देता है

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18 MAR 2018 AT 9:06

यूँ तो सनसनाती हवाएं उसकी जुल्फें संवरने नही देती है,
मेरी कोई भी गुस्से भरी बात उसे अखरने नही देती है,
ज़माने भर की चालाकियां उसे निखरने नही देती हैं,
लेकिन वो खुद बिखर कर भी मुझे बिखरने नही देती है।

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1 FEB 2018 AT 21:48

इरादे चट्टानों से मजबूत थे, भले आयु की अल्पना थी,
भारत का मान बढ़ाया जिसने, वो वीरांगना कल्पना थी।

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18 JAN 2018 AT 9:16

गर ज़िन्दगी रही तो दर्द भी होंगे
मौसम अभी और सर्द भी होंगे

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14 JAN 2018 AT 10:16

वो तो रोज़ ज़िन्दगी से जंग लड़ लड़ के घर आता हूँ
वरना मैं उतना बूढ़ा हूँ नही जितना नज़र आता हूँ

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17 DEC 2017 AT 9:57

करता हूँ इबादत मैं भी बहुत ऊपरवाले की
कोफ्त तो बहुत है, पर काफिर नहीं हूँ मैं
जो दिल में है वो चेहरे पर जाहिर है साफ साफ
जज़्बातों को अपने छिपा सकूँ..शातिर नहीं हूं मैं

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7 DEC 2017 AT 8:57

दिलों में रहता हूं साहेब धड़कने थमा देता हूँ
मैं इश्क़ हूँ वज़ूद की धज़्ज़ियाँ उड़ा देता हूं

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