18 JUL 2018 AT 22:46

झूठ और फरेब की दुनिया से परे हम कितने सच्चे थे
रहने देती हमें बच्चे हम बच्चे ही अच्छे थे

मैं तेरा तू मेरा हाथ थामे साथ साथ चल रहे थे
पर न जाने क्यूँ इस ज़हन-ओ-दिल मेंं कई सवाल पल रहे थे
कि मेरे दिल में क्यूँ तू अपना घर कर रही है
क्यूँ तू मुझ पर इतने एहसान कर रही है

झूठ और फरेब की दुनिया से परे हम कितने सच्चे थे
रहने देती हमें बच्चे हम बच्चे ही अच्छे थे

- ©Prashant Sharma(साँझ)