Prashant Pandey  
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Joined 5 June 2017


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8 MAR AT 8:29

यही विधाता यही रुद्र हैं
यही हैं सबका पालनहार
कभी सरल हैं कभी अटल हैं
इनकी कृपा है अपरंपार।

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5 MAR AT 12:06

अपनों मे ग़ैर

कोई कह रहा, मैं हूं तेरा
पर गै़रों मे उसका नाम है।
सब पूछते हैं अब उसे,
तेरी और क्या पहचान है..

मैं लड़ रहा हूं ख़ुद से ही क्योंकि
मेरे अपनों में उनका नाम है।
ना वो समझते थे कभी
ना तेरे दर्द का उन्हें ध्यान है।

मुश्किल में पड़ जाते हो तुम
जब अपना यहां अनजान हो।
मतलब से मतलब है यहां
ये मतलबी पहचान है।
अपनों के दायरों में भी
अपनापन यहां गुमनाम है।

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26 FEB AT 14:51

ज़िन्दगी में कोई ऐसा भी हो..
जिसे हमारी खुशियां और ग़म का आभास हो,
बिन कहे हमारे मुश्किलों का अहसास हो,
हमारी खुशियां उनके लिए, हमेशा खास हो।

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14 FEB AT 1:32

ज़िन्दगी में कुछ लोग इतने खास होते हैं,
वो दूर भले हो मगर, आपके बेहद पास होते हैं।

हम उन्हें हरबार ये जताते नही,
क्या हो तुम ज़िन्दगी में मेरे, हरदफा ये हम बताते नही।

वो समझते हैं इस बात को
इसलिए कभी आजमाते नही।

पर कभी कभी जताना जरुरी होता है।
मेरी बेचैनियों में तुम मेरा सुकून हो,
मेरे हर ख़्वाहिशों के लिए तुम जुनून हो,
ये बताना भी जरूरी होता है।
प्यार से प्यार को निभाना भी जरूरी होता है।

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14 FEB AT 1:08


मां रहकर तेरे चरणों में
मुझे वैभव सदगुण पाना है।

जो ख़्वाब अधूरे हैं मेरे
मां..मुझे वहां तक जाना है।

चाहत है.. पर नादान हूं मैं
मां.. मुझे उसे तो पाना है।

जिसने तुमको माना है,
उसको सदगुण पाना है।

सही ग़लत का भेद समझता,
वो दुनिया को पहचाना है।

तेरे शरण में आकर माता
सपनों का दीप जलाना है।
जो भी अंधेरा है जीवन में
उसको हमें मिटाना है।

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28 JAN AT 2:14

तमन्ना बहुत थी.. अपने सपनों के शिखर पर चढ़ने की
हौसला ना हारे, चाहे जो हो मुश्किल लड़ने की
सारी उलझन मिटा के के हरदम, ख़ुद को बेहतर करने की,

पर लगता है मेरा दौरा गया।
जिसे चाहा वो कहीं और गया।

मैं फिर भी उस इंतजार में हूं।
बस उसका ही तलबगार मैं हूं।
ना जाने क्यों उस प्यार में हूं,
मानो लगता है हकदार मैं हूं।
ना मिला अगर तो बिखरुंगा
पर वो मिल जाए तो निखरुंगा।


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22 JAN AT 10:36


मेरे खुशी के राज तुम।
हे राम.. सब में आज तुम।

कण कण यहां पावन हुआ।
जबसे तेरा ये क्षण हुआ।

आया खुशी का पल यहां
सारा जहान रौशन हुआ।

गूंजा है देखो हर गली
तेरे आने के पैग़ाम से
मिलने चले हैं सब यहां
जपते हुए श्री राम को
मिलने की तेरी चाह में
सारा जगत ये मगन हुआ।



करुणानिधि,आदर्श तुम,
हे राम सब में शीर्ष तुम।

तुमसे ही सबकी जीत है
यहां हर जन को तुमसे प्रीत है।


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7 JAN AT 10:51

किसकी तलाश में हो तुम
मंज़िल के करीब हो..
या बस इसकी चाहत में उदास हो तुम..

ख़ुद को तुमने ख़ुद ही संभाला है
या इसमें भी किसी और का बोलबाला है..
तेरे सपने अब भी अपने हैं
या इसे भी किसी और के लिए टाला है..

देखना जरा तुम किसके करीब आ रहे हो
सब-कुछ बनाने में, साथ निभाने में,
कहीं तुम ख़ुद से दूर तो नही जा रहे हो..

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6 JAN AT 9:48

किसी के खुशी के लिए, कुछ पल मौन हो जाना ग़लत है क्या..
जो बात रखती नही अहिमीयत उसके लिए, वो भी बताना जरुरत है क्या..
माना की उनके फिक्र में हमारी जिक्र हर बार होती है,
पर अपनी मुश्किलों से उनकी मुश्किलें बढ़ाने की जरुरी है क्या..


ज़िन्दगी के उलझनों में सब यहां बेजार है,
इन मुश्किलों के आगे लोग, होते शिकस्त कई बार हैं।
कहीं नफ़रत तो कहीं मिलता ढेर सारा प्यार है
अगर अपनों को ही अपनी व्यथा सुनानी पड़े
हर कुछ यहां, सब कह के बतानी पड़े
पल पल यहां अपनी ज़िन्दगी में,
उनकी अहमियत बतानी पड़े, तो ये सब बेकार है।

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1 JAN AT 3:07

जीवन में तुम और बढ़ो
मिल जायेगा हर वो मंज़िल
जिसकी तुम्हें तमन्ना है,
पहले ख़ुद को जानो तुम
की कैसा तुमको बनना है..

सही राह पे उसी चाह से
हर पल तुमको चलना ‌है।
छोड़ो कल की बातें
पर आज तुम्हें संभलना है।
ना पछताना ना घबराना
तेरे सपनों जैसा बनना है।
खुशियों की उम्मीद लिए
तुम्हें लगन लगा के चलना है।



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