किसी के खुशी के लिए, कुछ पल मौन हो जाना ग़लत है क्या..
जो बात रखती नही अहिमीयत उसके लिए, वो भी बताना जरुरत है क्या..
माना की उनके फिक्र में हमारी जिक्र हर बार होती है,
पर अपनी मुश्किलों से उनकी मुश्किलें बढ़ाने की जरुरी है क्या..
ज़िन्दगी के उलझनों में सब यहां बेजार है,
इन मुश्किलों के आगे लोग, होते शिकस्त कई बार हैं।
कहीं नफ़रत तो कहीं मिलता ढेर सारा प्यार है
अगर अपनों को ही अपनी व्यथा सुनानी पड़े
हर कुछ यहां, सब कह के बतानी पड़े
पल पल यहां अपनी ज़िन्दगी में,
उनकी अहमियत बतानी पड़े, तो ये सब बेकार है।
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