देश आजाद है तो फिर हम क्यो आज़ाद नही क्यों है ये उंच नीच, क्यों समानता की बात नही हर तरफ हो रहा हंगामा, शांत कोई रात नही मरे कटे जा रहे लोग, कहते डरने की कोई बात नही आजाद है हम, आजाद रहेंगे, अगर सब साथ यही भारत के हम भारतवासी, देशभक्तो की कोई ज़ात नही
एक बात बोलूं तो सुन लेना ये जो बेजुबां है क्या उनकी कोई जुबां नही होती? अगर होती है तो फिर क्यों उसकी बात नही होती तड़प कर मर गयी जो पेट में एक जान लिए क्या उसकी जान की कोई औकात नहीं होती? ये एक जुर्म नही है जो होता है इनपर होता है बहुत पर उसकी ज्यादा बात नही होती गुस्सा फूटा लोगो का क्योकि मौत बेदर्द थी कहीं ऐसे ही मर जाती तो शायद कहीं बात नहीं होती हर एक जान कीमती है क्यो भूल जाते है ये हम जो न होते ये जंगल जानवर तो इतनी सुंदर कायनात नही होती
फिर आ गया साल का वो दिन जब सारी माँओं को याद किया जाता है फिर दिन खत्म होते ही उनको साधारण इंसान बना दिया जाता है आज तो कुछ खास करना पड़ता है क्योकि दुनिया सारी करती है ढूंढते है एक फोटो गैलरी में और स्टेटस के साथ डाल दिया जाता है पर कोई बात नही इस बात की आखिर वो तो माँ है खुश है वो इस बात में ही उसको आखिर याद तो किया जाता है
कुछ ऐसी है नाराज़गी उनकी हमसे की पीछे बैठे है और मुड़कर देख नही सकते दिल की धड़कन तो सुनाई दे रही है पर कुछ कह नही सकते शायद एक नाज़ुक डोर है जो अब भी जुड़ी है जो चाह कर भी वो तोड़ नही सकते खुश्बू तो उनकी याद है मुझको आज भी वो भूल गए होंगे ये कह नही सकते
कि आते नही वो ख़्वाब जो पहले आया करते थे मिलते थे जो रातों से नींद को बुलाया करते थे कभी डराते कभी हँसाते कभी प्यार में डुबाया करते थे जो कभी टूट जाए बीच में यू तो सारी रात सताया करते थे हैरान था अपनी सोच पर कि क्या क्या दिखाया करते थे जो मंजिल कभी मिली नही उन रस्तों पर चलाया करते थे शायद इसलिये वो ख्वाब है जो रातों को आया करते है जो अब न मिलते हमसे हकीक़त में उनको वो ख्वाबों में मिलाया करते है
एक दफ़ा रात से ये बात हो जाए फिर ख़्वाब तुझसे मुलाकात हो जाए मुद्दतों से कहनी थी बात जो तुझको वो बात दिल की फिर आज हो जाए समझा न सकूं शायद आज भी वो बात फिर से न राज़ हो जाए जो समझ गए बात हमारे दिल की फिर तू शायद हमसे नाराज़ हो जाए