जिसे देखो वही बस मन्नतों के धागे में उलझा हुआ है
हमने तो अपनी साँसों की डोर उसकी धड़कनों में बांधकर सारा क़िस्सा ही ख़त्म कर दिया है !-
बहुत ज्यादा पागल हूँ : चाय और अपनी ज़िंदगी के लि... read more
हमे कहाँ मालूम था अपने नाम का मतलब,
कि तुमने इस "आ" को अपने "न" से जोड़कर हमारी आन को हवा दे दी !-
मैं तुझे देखकर
बड़ी आसानी से अपनी
में लिख लेता हूँ
पता है क्यों क्योंकि
के हर पन्ने पर तेरे नाम
की स्याही ज़रूरी है
ज़िंदा रहने के लिए इसलिए
तो हर जंग बड़ी आसानी से
जीत लेता हूँ !
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अपनेपन का शोर नहीं मचाता मैं अपना हूँ यही हर बार बताता हूँ,
सुन लेता हूँ जब कोई कहे बुरे हो तुम फिर मैं भी ख़ामोश रहकर हर बात कह जाता हूँ !-
मैं तुझमे कुछ यूँ गुम हो गया हूँ,
के मैं अब मैं नहीं रहा तुम हो गया हूँ !-
जो थक हारकर बैठ जाऊँ तो बाकी ही क्या रहा,
मैं जब तलक ज़िंदा रहा तेरी ही मोहब्बत में रहा !-
झकझोर कर रख देती हैं लाख मनाने से रहीं,
ये उदासियाँ भी देखो हर बार मुझे हराने में रहीं !-
दूरी जरा भी महसूस नहीं होती इतने पास हैं हम,
एक दूसरे के हसीन ख़्वाब ख्यालात एहसास हैं हम !-
भीगे पड़े हैं दो बदन जैसे बारिश टप टप बरस रही है,
कुछ यूँ चढ़ी एक दूजे पर मोहब्बत की गर्मी उतारे नहीं उतर रही है !-
ठंड कितनी ही क्यों न हो पता नहीं चलती,
कुछ यूँ चढ़ी तेरे एहसासों की गर्मी अब उतारे नहीं उतरती !-