pranjul tiwari   (Pranjul Tiwari)
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Engg. By Proffesion
Writer & singer by passion
Joined 20 March 2017


Engg. By Proffesion
Writer & singer by passion
Joined 20 March 2017
11 DEC 2023 AT 20:41

आखिर ठीक ही पढ़ा था भौतिकी मे
कि समय बढ़ने के साथ दूरी भी बढ़ जाती है।

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9 MAR 2023 AT 8:53

लगभग हर रिश्ता खोखला है,सब कुछ महज दिखावा है यहाँ
अपनेपन की तो बस बाते हैं,कौन किसी का हो पाया है यहाँ।

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9 FEB 2022 AT 22:54

वो जिक्र,वो फिक्र अब पहले जैसी कहाँ रही उनकी
वो जो कहते थे हम हर वक्त तुम्हारे साथ खड़े हैं
मैने तो हमेशा से ही दिल मे सहेज के रखा है उनको
बस वो ही हैं जो बाहर निकलने की जिद पे अड़े है।

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22 DEC 2021 AT 7:48

पहनकर छोड़ दिया वो कुर्ता, बिना किसी कद्र के
समय के साथ उसमे सिलवटें पड़ना तो लाजमी था।

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8 DEC 2021 AT 22:58

छोड़ता नही मै साथ किसी से नाता जोड़कर
गर साथ छूटा तो यकीनन पहल तुम्हारी होगी।

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8 DEC 2021 AT 22:40

यूं तो मैने तुमसे एक निश्छल नाता जोड़ रखा है
तुम छोड़ो या निभाओ ये मैने तुमपे छोड़ रखा है।

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8 DEC 2021 AT 9:35

हैं सभी अलग-अलग दिन
कोई सरल,तो कोई कठिन
ये दिन कुछ वस्त्र की तरह होता है
जब दुःख इसको मैला करता है
तब सुख इसे अच्छे से धोता है
सुख मे तो ये बड़ा प्यारा लगता है
दुःख मे ये लगता है बेहद मलिन
है सभी अलग-अलग दिन
कोई सरल,तो कोई कठिन।

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5 DEC 2021 AT 20:12

खिल उठे पुहुप सारे,उपवन भी हरषा गये
मानो प्रकृति से मिलने,खुद मन्मथ आ गये
हर पात झूमने लगा,खुशबू वात संग बहने लगी
कोयल भी गीत गाकर जैसे कान मे कुछ कहने लगी
हरीतिमा सी छा गयी,और दरख़्त लहरा गये
ढाक के वो पलाश फिर से बसन्त लेकर आ गये
हरियाली भी इस धरा से जैसे बेहद प्यार करने लगी
ऐसा लगता है मानो प्रकृति खुद श्रृंगार करने लगी
खुशियाँ सारी मिल गयी और गम सारे मुरझा गये
खिल उठा ये जीवन जब से तुम हो इसमे आ गये।

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2 OCT 2021 AT 12:37

लगाव और प्रेम तो अथाह है तुमसे
ये नाराजगी तो महज ऊपरी होती है
मुझे तो आज भी भरोसा है खुद से ज्यादा तुम पर
भला अपनों के बीच मे कहीं दूरी होती है।

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28 SEP 2021 AT 13:47

सम्भव ही नही कि खुदा अब तुम जैसा और कोई बना दे
कि तुम तो अलौकिक हो तुम्हारी नक्काशी तो महज इत्तेफाक थी।

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