Prakash Pravit   (Prakash Pravit)
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Joined 8 February 2017


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Joined 8 February 2017
10 JAN 2022 AT 18:28

" हिंदी के 'ह' से स्फूटित 
स्नेह की लीक
बढ़कर करेगी एकदिन
 समस्त जीव-अजीव
 को,नवरस से सिक्त।"

#विश्व हिंदी दिवस


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25 NOV 2021 AT 21:56

स्वार्थी समाज में लेखक होना,
एक शाही महल की दीवार पर
शोभित मृग की चित्रकारी है;
जिसका औचित्य सजावट है
और यथार्थ प्राणघातक।

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20 JUL 2021 AT 12:11

(ज़न्नत का पिनकोड)


कंक्रीट के डिज़ाइंड शहर
बारिश में धुली मशीन लगते हैं
हम हिमालय की तलहथी वाले हैं
हमपे हरी स्मृतियों का ओवरलोड है
गिरते आसमानी बूँदों को
वहाँ नर्म घास की गोद है
मेरे गाँव-घर का पता
ज़न्नत का पिनकोड है।


©प्रवित

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21 JUN 2021 AT 8:58

सबा में बात कोई आकर छिपती है,
दिन की आँखें उसे तलाशती है,
रात उसे ख़्वाबों में लेकर सोती है।


(सबा- सुबह की हवा)

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15 MAY 2021 AT 16:02

सबसे बड़ी बाधा : मूर्खता
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हमारी संस्कृति से ईमानदार समालोचना एवम आत्मावलोकन के तत्त्व विलुप्त हो रहे हैं। जिनके अभाव से जड़ता और तत्पश्चात मूर्खता का सामान्यीकरण तो अवश्यम्भावी ही है। पठन,धैर्य और जागृति के अभाव में सार्वजनिक-प्राकृतिक संसाधनों के सम्बंध में मितव्ययिता एवम व्यक्तिगत-सामाजिक जीवन के प्रति सार्थक-सकारात्मक आचरण का क्षय चरम पर है। यही तो मूर्खता है।
इससे सततता,स्वास्थ्य और शांति सब दूर ही जाते हैं और हमारी सभ्यताएँ महामारी,हिंसा,शोषण और औसत ज़िन्दगी जैसी दंश झेलने को मज़बूर हो जाती है। ।🙏

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14 MAY 2021 AT 7:58

वबा के दौर में
मुनासिब नहीं कि गले मिलें,
अमन की दुआओं पर
मग़र साथ में आमीन कहेंगे।

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13 MAY 2021 AT 21:57


"वो जो सूरतों-सीरत में मोती हो
गर मुट्ठी से फ़िसल जाए
उसे फिर रेत कहना है,
दिल सिखा देता है।"

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11 MAY 2021 AT 19:50

 मुश्किल वक़्त के निशान
 चेहरे के दरारों में छुपे रहते हैं
 बाकी का चेहरा
इश्तेहार बना रहता है
दुनियादारी का;

और जो हमसे प्यार करते हैं
वे इश्तेहारों को फाड़कर
चेहरे के दरारों को चूम लेते हैं।

- प्रकाश प्रवित

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7 MAY 2021 AT 20:35

अस्पतालों में बेड
दवाओं के डोज़
दवाओं में असर
मरीज़ो को राहत
या तो नहीं प्राप्त
या तो नहीं पर्याप्त।

 


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29 MAR 2021 AT 8:03

 धरती टकराएगी
 क्षुद्रग्रहों से 
 प्रेम टकराएगा
 यथार्थ से
और दोनों के सावन 
राख हो जाएंगे
अंदर की खौलती मैग्मा में;

अंतरिक्ष वैज्ञानिक
न्यूक्लियर बम लेकर जा रहे हैं
क्षुद्रग्रहों के टक्कर को टालने
और आशिक़ 
एक ग़ुलाब लेकर जा रहे हैं
शादी के लिए
प्रेमिकाओं को मनाने।


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