जब मैं पुछू कभी तुमसे-
"चाय पियोगे" ?
तो नही पूछता मैं तुमसे बस दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबाल कर बनी हुई एक कप चाय के लिये।
मैं पूछता हूं, क्या तुम बाटना चाहोगे कुछ चीनी सी मीठी यादें,
कुछ चायपत्ती सी कड़वी दुःख भरी बातें।
मैं पूछता हूं, क्या तुम बाटना चाहोगे अपने कुछ अनुभव,
कुछ आशाए, कुछ नई उम्मीदें।
एक उस प्याली चाय के साथ मैं बाटना चाहता हु
अपनी ज़िन्दगी के वो पल तुमसे जो अब तक अनकही है
अबतक दांस्ता जो अनसुनी है, वो तमाम किस्से जो सुना
नही पाया अपनो को कभी,
उस एक प्याली चाय के साथ अपने उन टूटे ख्वाबो
को फिर एक बार जी लेने की ललक से,
गर्म चाय से निकलती उस धुएं के साथ कुछ पल को
ही सही अपनी सारी फिक्र उड़ाने की बेताबी से।
इस दो कप प्याली के साथ हम दो अजनबी शायद वो
बातें कर पाये, जो अब तक मेरे अपनो के बीच ना हो सकी है
बतावो तुम बाटना चाहोगे मेरे साथ कुछ चीनी सी मीठी यादें,
कुछ चायपत्ती सी कड़वी दुःख भरी बातें ।
बोलों, "चाय पियोगे"??
-