हुस्न तराशने वाले भीतेरी राह में हाथ फैलाये बैठे है,के तू गुज़रे वहाँ से औरतेरे चेहरे का थोड़ा नूर टपक जाए।।//नासमझ शायर - नासमझ
हुस्न तराशने वाले भीतेरी राह में हाथ फैलाये बैठे है,के तू गुज़रे वहाँ से औरतेरे चेहरे का थोड़ा नूर टपक जाए।।//नासमझ शायर
- नासमझ