Prakash jaiswal   (Nadaan 178)
493 Followers · 14 Following

read more
Joined 8 November 2020


read more
Joined 8 November 2020
6 DEC 2021 AT 19:52

आज हमारी ख्वाहिशे ,
ना जाने कितनों के सपने होंगे |
मुस्कराते हुए वो चेहरे ,
क्या पता अपनों में भी होंगे |

कितना दुख होता हैं ना ,
जब ख्वाहिश पूरी नहीं होती |
लेकिन हम ये क्यों भूल जाते है ,
जिनके सपने पूरे नहीं होते ,
उन्हें दर्द कितना होता होगा |

हमने तो जिंद की
परिभाषा ही बदल दी
भाषा छोर सब भाषा बक दी
लेकिन उनका क्या
जिनकी भाषा ही डर है
अब परिभाषा........

-Nadaan 178



-


29 NOV 2021 AT 18:29

तू दोषी नहीं फिर भी मौत था
इतनी मुस्कान कहा से
क्या तू होश में था
दर्द था ना..... (2)
तो क्यों बेहोश था
सब्र नहीं.....
तो कब्र क्यूं खोद दी
क्या ये तेरा दोष नहीं था

-


20 OCT 2021 AT 22:53

मैं वो भाषा नहीं ,जो मज़हबों को बांट दू
मैं वो वाक्य नहीं ,जो सरहदों को बांट दू
सिक्का हु बस दो पहलु का ,,,,
डर लगता है कहीं खुद से !!!
खुद को ही ना बांट दू.........

-


2 OCT 2021 AT 13:31

कभी किसी आईने में अपना
बीता कल दिख जाए
तो उसे पोंछ देना
ना जाने कैसे-कैसे
दागों को सह रहा होगा

-


11 AUG 2021 AT 21:28

हँसने का था शौक बड़ा ,
रोने पर मजबूर हुए !
हमारा आईना बनने में ,
कितने शीशे चूर हुए!!

पत्थरों को भूल गए तुम ,
मुस्कराते हुए जो चूर कर गए |
पाँव थे कब्र में!!
लेकिन खुद को मशहूर कर गए |

पिघला दिए थे शीशे,
जो चूर हो गए !!
ना जाने किसमे पिरोना था ?
ढांचे ही दूर हो गए !!

-


2 AUG 2021 AT 23:15

आज हम खुद को मिले ,
लेकिन खुद में राख मिले !!
ना ज्वाला लगी ,
ना धुआ उठा ,
बस खुद में आज मिले |

ना किसी से कुछ पाने कि इच्छा ,
ना किसी को कुछ जताने की इच्छा |
मिले तो कुछ ऐसे मिले ,
कि सब मे हम ही मिले !
बस खुद में आज मिले |

बस एक हिचक थी ,
ना लोग ना लोभ था
ना अहंकार ना क्रोध था |
खुद में ही जीत खुद में ही हार !!
और बस खुद में मिल गया आज|

-Nadaan178




-


21 JUL 2021 AT 12:19

बदलते मौसम के साथ
हम इतना बदल गए
कि जाने कब वक़्त बदल गए
सोचा समय से समय पर मिला
करेंगे
समय ने वक़्त से बात कर धोखा दे
दिया
तो आप क्यों नहीं खुद समय बन जाते
कि कहते ज़माने से एक बात कहनी है
हाँ हम तो है नासमझ
तो आप समझदार बन जाइए
थोड़ी सी शायरी भेजी
थोड़ा सा समझ के बताइए 😅😁
-Nadaan178

-


10 JUL 2021 AT 16:04

ये रिश्ता ना तो कर्ज का
और ना ही फर्ज का
इसका हर वक्त है
हर्ष का
नादानी के सायों में
छोटे लड़ जाया करते
बडप्पन के तराजू में
बड़े मुस्कुराया करते l
हाथ की झंझट में जहां
समय का कोई काम नहीं
वहां बहन की अमानत
सालों सजाया करते

-Nadaan178

-


9 JUL 2021 AT 10:54

स्याही ने बहना सीखा
कागज ने समेटना
कलम बनी सहारा
तो स्याही ने चलना ,
कलम ने कुरान को
अश्कों से नहलाया है
गंगा जल तो क्या
इसने अमृत को
ज़मी पे लाया हैं
कटते-फटते जीता रहा
खुद अज्ञान होकर दुसरों
को ज्ञान देता रहा
फिर फट गए कागज
और बस...

-


7 JUN 2021 AT 0:18

नन्ही कली का मुस्काना
माँ के झूले से निकल
पापा की उड़ान बन जाना
जरूरी नहीं कि पेंसिल की नोक
पे कोयला ही लगा हो ..
अगर काजल की स्याही हो तो
क्या कहना ...
और मैं दुआ नहीं करूंगा
तुम्हारी दुआ के बदले
तुम खुद मे हो दुआ
किसी की दुआ के बदले .

-


Fetching Prakash jaiswal Quotes