राम आए है तो धन्य अयोध्या है राम आए है तो प्रफुल्लित सी मिथिला है राम आए है तो कण कण उत्साहित है रोम रोम में श्री राम जी समाहित है राम मेरे लिया त्यागी तपस्वी है राम तेरे लिए श्री हरि की छवि है राम अपने नहीं न पराए है राम ने तो मां शबरी के जूठे बेर खाए है राम श्रद्धा है प्रेम है और संस्कार है राम पूज्य है सोच में है निर्विकार है.
जगत जननी के प्राण से प्यारे कौशल्या मां के आंख के तारे भरत ने जिनपर सब सुख वारे पिता वचन को जो घर त्यागे लव कुश के जनक रघुनंदन श्री लक्ष्मण के त्याग तपोवन दसरथ के वचनों का मान अयोध्या जी के न्यारे राम आने वाले है निज धाम जय सिया राम जय जय सियाराम
मैं मानती हूं की हृदय में बसी अतीत की सारी स्मृतियां काली नहीं होनी चाहिए कुछ सफ़ेद भी होनी चाहिए जब लगे की लोगों से जुड़ी यादें कड़वी होने लगी हैं तो उन्हें अपना ले जो जैसा जिस हाल में जैसी यादों के साथ मिला और फ़िर शांत हो जाए.