Pragya Bisen   (Vichitra Naari)
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Joined 6 December 2017


Joined 6 December 2017
14 JAN 2023 AT 19:40

Not the people but the mind,
Not the storm but the silence,
Not the answer but the question,
Not the result but the reason,
I am scared of...

Not the real but the dream,
Not the moment but the memory,
Not the lie but the truth,
Not the death but the life,
I am scared of...

Not the end but the start,
Not the strangers but the known,
Not the hate but the love,
Not the world but the me,
I am scared of...

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28 MAY 2022 AT 20:38

I love my scars...
They aren't beautiful for you
But I love my all scars
I have scars of loosing my friends
In middle of my way
I have a scars to roam alone
But I love my all scars
That aren't beautiful for you
I have scars of loosing hope
In all my relationship
I have scars to search again
But I love my all scars
They aren't beautiful for you
I have scars which is visible
I have scars which no one can see
I have scars of being vocal and
I have scars of not uttering a word
Yes.. I love my all scars
That aren't meaningful for you.

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29 APR 2022 AT 12:28

There are some silence which
You need to embrace...
It makes you beautiful and
Special among your own
Chaotic World...

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6 JAN 2022 AT 17:05

प्रेम का धागा हो या नफ़रत का लोग इतनी शिद्दत से
थाम लेते हैं कि एक वक्त के बाद हम
उस धागे से बँधे होने का कारण तक भूल जाते हैं
भूल जाते हैं कि किसी से प्रेम था तो क्यों
औऱ भूल जाते हैं किसी से नफ़रत की बेजा वजहें...

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20 DEC 2021 AT 0:11

कितना ख़ामोश सा है
ये इंतज़ार...
जहाँ आज भी हम
उस से कविताओं में
मिला करते हैं...

कौन कहता है कि
मर के लोग दूर हुआ करते हैं...

#इक_तुम्हारा_होना

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2 NOV 2021 AT 1:20

दो समान्तर रेखा की तरह ही है
दो लोगों के बीच की चुप्पी की रेखा
साथ साथ चलती तो है
पर मेल अनंत तक नहीं है

बस क्षितिज की तरह मिल जाने
का भरम होता है...
औऱ ये भरम टूट न जाये इस लिए
चुप्पी की इस रेखा को रोज
ही थोड़ा थोड़ा करके लम्बा किया
जाता है... इतना लंबा की
क्षितिज तक चुप्पी की, शब्दों के घुटन की
एहसासों के तड़प की, न बोले जाने की
न सुने जाने की और न ही व्यक्त हो जाने की...
रेखा को...दो लोगों के बीच की इस रेखा को
पहुँचाया जा सके...

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1 NOV 2021 AT 22:32

दो समान्तर रेखा की तरह ही है
दो लोगों के बीच की चुप्पी की रेखा
साथ साथ चलती तो है
पर मेल अनंत तक नहीं है

बस क्षितिज की तरह मिल जाने
का भरम होता है...
औऱ ये भरम टूट न जाये इस लिए
चुप्पी की इस रेखा को रोज
ही थोड़ा थोड़ा करके लम्बा किया
जाता है... इतना लंबा की
क्षितिज तक चुप्पी की, शब्दों के घुटन की
एहसासों के तड़प की, न बोले जाने की
न सुने जाने की और न ही व्यक्त हो जाने की...
रेखा को...दो लोगों के बीच की इस रेखा को
पहुँचाया जा सके...

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23 SEP 2021 AT 23:04

प्रेम में छले गए लोग इस लिए नहीं
छले जाते क्यों कि वो प्रेम में अंधे होते हैं
वो इसलिए छले जाते हैं क्योंकि
वो हर चीज़ को अपने साथी की निगाहों से देखते हैं

प्रेम में छले गए लोग इस लिए नहीं
छले जाते क्यों कि वो बहुत भोले होते हैं
वो इसलिए छले जाते हैं क्योंकि
वो हर बात को अपने साथी के अनुसार सोचते हैं

प्रेम में छले गए लोग छले जाते हैं क्योंकि
वो अपने साथी को देते हैं वो मौका
वो हक़, वो स्थान, औऱ ख़ुद को छले जाने की
लाचारगी... बेचारगी... सादगी

प्रेम में छले गए लोग छले जाते हैं
अपने प्रेम के कारण...अपने विश्वास के कारण

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21 SEP 2021 AT 19:07

प्रेम में डूबे स्त्री और पुरुष
के बीच क्या अंतर होता है,
उसने बोला, स्त्री जितनी निश्छल
होती है, पुरुष उतना सचेत होता है
तो सारा अंतर निश्छलता और
सजगता का होता है...
प्रेम में डूबे स्त्री-पुरुष का ये अंतर
क्षितिज और अनंत सा होता है...
ये अंतर, अंतर नहीं होता...

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12 SEP 2021 AT 20:09

सब से मुश्किल है
हर बात का याद रह जाना
औऱ उस से भी मुश्किल होता है
दिल पे ज़ोर देकर... हर रोज़
मुस्कुरा के हर एक याद को
दिल के क़ब्र में दफ़न करना

दफ़न होते हर याद को
सहेजने औऱ बिखर जाने के फेर में
मुश्किल होता है ख़ुद को हर बार
सम्भालें रखना... सब से मुश्किल
औऱ उस से भी मुश्किल होता है
ख़्वाबों का तिनका तिनका
अपने ही हाथों से उड़ा देना...

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