Prachi Thapan   (अंदाज ए अदा 🖊)
1.0k Followers · 1.9k Following

read more
Joined 29 January 2018


read more
Joined 29 January 2018
23 MAR AT 21:10

ये तो ज़िन्दगी का एक खेला है
ताउम्र मैं बस अपने कल को ही संवारने में लगा रहा
लेकिन....
कब उसका बुलावा आया और मैं बीच में ही सब छोड़ चल दिया
बस ......
इस बात के अफ़सोस के साथ, कि ज़िन्दगी तो मैने जी ही नही थी, कभी।

-


22 MAR AT 17:14

की मंजिलें खुद ब खुद चलकर नही आया करती है
मैं तो बस एक ज़रिया उन मंजिलों तक पहुंचाने का
लेकिन....
तुम्हारी मंज़िल किस ओर है, ये तुम्हे खुद ही तय करना होगा।

-


21 MAR AT 17:31

जितना उसे आप प्यार और अपनेपन से सीचोगे उसके कई गुना आपको उसका फल मिलेगा

ठीक वैसे ही जैसे आप अपने रिश्तों को जितना प्यार और अपनेपन से सीचोगे बदले में आपको भी उसका कई गुना फल मिलेगा

अब ये आपको सोचना है की आप अपने ज़िन्दगी के रिश्तों को खूबसूरत बनाना चाहते है, या अकेलेपन का बंजर पेड़ बनाना चाहते है।

-


20 MAR AT 20:12

कौन कहता है, जिसकी किस्मत चमकती है तो छप्पर फाड़कर देती है???
लेकिन.....
कोई ये क्यों नही कहता की, उसी किस्मत को बनाए रखने के लिए काम भी करना होता है।
क्योंकि.....
यूं नही किस्मत किसी पर मेहरबान हुआ करती !!!

-


20 MAR AT 11:52

ना की दिखावे से होती है
लोग अक्सर दिखावे का मुखौटा लगाए महान दिखने की कोशिशें करते है
लेकिन......
वो ये भूल जाते है की मुखौटा कोई भी ज्यादा समय तक नही लगा सकता
और.....
एक समय ऐसा भी होता जब आप क्या ये जग ज़ाहिर हो ही जाता है।

-


19 MAR AT 12:17

जो अगर इसका मंत्र बना लिया जाए तो
मुश्किलें कितनी ही आए, मगर उठ खड़े होने का जज़्बा दिल में आ जाए तो
पत्थर फेंकने वाले तो, बहुत मिल जायेंगे, तुझे राहों में
लेकिन....
उन्ही पत्थरों से अपना रास्ता बनाने वाला, बन जाए अगर तो,
जीत मुश्किल नहीं फिर.......

-


19 MAR AT 12:07

किसी की, अपने आपको थोड़ा समझदारी और आपसदारी की भट्टी में तपाना पड़ता है,
उसके बाद भी ऐसे बहुत से ना जाने कितनी ही परीक्षा का सामना करना पड़ता है तब जाके कही निखरती है पहचान की बुनियाद

वही, जो लोग अपने आचरण से, पहले से ही ऐसे हो, उनको किसी पहचान की जरूरत नही पड़ती।

-


19 MAR AT 11:56

just don't stop believing in yourself

-


18 MAR AT 21:45

वो एक ख़्वाब जो मैने अपने लिए देखा था कभी
लेकिन.....
आज भी एक उम्मीद बाकी है मुझमें कहीं, की एक कोशिश तो करूं उसके लिए भी
जो.....
हाथ से मेरे निकल गया था कभी।

-


18 MAR AT 12:18

हर मुसाफिर अकेला ही होता है और अकेला ही जाता है,
वो लाख चाहे कितने ही रिश्तों के झमेले में उलझा रहें ताउम्र,
लेकिन.....
इस सफ़र के अंतिम पड़ाव को उसे अकेले ही तय करना पड़ता हैं।

-


Fetching Prachi Thapan Quotes