जहाँ कमरें में क़ैद हो जाती हैं ज़िंदगी ,लोग उसे बड़ा शहर कहते हैं और ऐसे ही एक बड़े शहर की तलाश है मुझे वर्षों से जहाँ कर सकूं मैं क़ैद ख़ुद को हमेशा के लिए ।— % &
-
लोग या तो मासूम होते हैं या हद से ज़्यादा होशियार बीच का कुछ नहीं होता ।
-
हर नया साल एक दिन पुराना हो जाता है और हर साल कुछ पुराने लोग हमारे लिए नये हो जाते हैं ।
-
जान जाती थी जिसके जाने के ख़्याल भर से...
मैंने उसका जाना भी देखा है...फिर ये दिसंबर तो बस एक महीना है ।।-
लोगों के थोड़ा क़रीब आने के लिए पहले कितना दूर जाना पड़ता है न ।
-
धैर्य कितना क्यों और कैसे रखा जाये ? वो भी तब जब आपका धैर्य रोज़ अपनी सारी सीमाएं लांधता हो टूटता हो गिरता हो फ़िर ख़ुद सम्भलता भी हो आख़िर कब तलक धैर्य अपनी धैर्यता बनाये रखे । आख़िर धैर्य की धैर्यता की भी एक सीमा है ।
-
जीवन में कभी न कभी एक वक़्त ऐसा भी आता है जब हमें उन छोटी-छोटी बातों पर भी सोचना पड़ता है जिसके बारे में हमनें पूरे जीवन काल में (अब तक जितनी ज़िन्दगी जियें हैं) कभी ये नहीं सोचा होता कि इस बात के लिए भी मुझे कभी सोचना पड़ेगा । पर अफ़सोस सोचना पड़ता है क्योंकि वक़्त हमें सोचने पर मजबूर करता है ।
-