ग़म पता नही कब, किस लम्हे के पहलू में,छुप के चला आये,कभी यूँ भी करें, बग़ैर वजह के, चलो खुश हो लिया जाये! - Prabodh
ग़म पता नही कब, किस लम्हे के पहलू में,छुप के चला आये,कभी यूँ भी करें, बग़ैर वजह के, चलो खुश हो लिया जाये!
- Prabodh