क्या कहा, श्मशान सिर्फ एक बार जाते हैं?
एक ही बार अस्तित्व जलाये जाते हैं?
याद नहीं वेहम के टूटने पर भी लोग मर जाते हैं,
कई बार अपने ही अस्तित्व को जलाकर हम लौट आते हैं,
कई दफा आईना भी नहीं पहचान पाता हुस्न को,
इस कदर हम सब कितना बदल जाते हैं।
ठोकरों से गिरते ही जब लौट आती है,
स्वपन के वो एहसास जब भी बिखर जाते हैं,
अपनों को परख कर जब याद गैरों की आती है,
जीवन का कितना दर्दनाक पाठ यह बात पढ़ाती है।
क्या कहा हम मसान बार बार जाते हैं,
अपने ही अस्तित्व को कई बार फूंक कर आते हैं।
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