19 JUL 2018 AT 3:53

बादल का है कारवां ये पानी
मौजों की है रवानी ये पानी
बारिश में भिगो देता ये जवानी
शर्म ओ हया और लाज में भी है
तेरे वजूद के हर कतरे में
धार सा बहता है ये पानी
शिव की जटा में गंगा सा है
बांध से छूटे बाढ़ है पानी
तीन ओर से घेर धरा को
सब जीवों का अभिमान है पानी
धरा का अंतस झुलस पड़ेगा
जीवन तेरा विवश रहेगा
सूना दरिया,कलश रहेगा
बूंद बूंद हम तरसेंगें
प्राणों की होगी कुर्बानी
अगर ...खत्म हुआ ये पानी

- पूजा मिश्रा