मुसाफिर हूँ यारों बस चलना आता है ना रुकना ना ठहरना आता है।कविताओं और कहानियों का तो मुझे पता नहीं बस दो चार शब्दों को पिरोना आता है।। -
मुसाफिर हूँ यारों बस चलना आता है ना रुकना ना ठहरना आता है।कविताओं और कहानियों का तो मुझे पता नहीं बस दो चार शब्दों को पिरोना आता है।।
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