31 AUG 2017 AT 1:45

मेरी जुदाई का मंजर कुछ इस तरह आया
मैं लेटी थी जमीन पर और मुझे दुल्हन की तरह सजाया

रो पड़े थे मुझसे नफरत करने वाले भी
ना जाने क्यों मैंने अपनी रूह को अपने जिस्म से अलग पाया

दिल बैठा जा रहा था मेरा ऐसा खौफनाक मंजर देख कर
ना जाने क्यों मुझे लाश की तरह सजाया

कैसे फफक फफक कर रो रहे थे सब
क्यूँ कोई मुझे जिंदा ना कर पाया

मेरी लाश को सीने से लगाया
अगले जन्म में फिर से मिल जाऊं बस यही राग लगाया

धीरे से अपनो ने ही मुझे कंधों पर उठाया
अपनों के हाथों ही विदा कराया
बड़ी जल्दी थी ले जाने की
कोई थोड़ा सब्र भी ना रख पाया

मेरी रूह अभी भी कशमकश में थी
बहुत कोशिश की इधर-उधर भागी मैं
अपने जिस्म को जगाया
पर गहरी नींद में था वो
कमबख्त कुछ भी ना कह पाया

राम का नाम लेते हुए मुझे श्मशान पहुंचाया
आखिर में मुझसे प्यार करने वालों ने ही
मुझे अपने हाथों जलाया

क्यूँ खुदा तूने मुझे ऐसा दिन दिखाया
क्यूँ तूने ये सितम ढाया
क्यूँ कोई मुझे जिंदा ना कर पाया

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