Piyush Sanwal   (✍️Piyush_sanwal)
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Joined 19 February 2018


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Joined 19 February 2018
2 NOV 2021 AT 7:27

संघर्षमय जीवन है,
परिवर्तनशील है हर पहर
सपने पूरे करने हों,
या हो जिम्मेदारियों का कहर
छोड़कर जाने पड़ते है
वो गली वो चौबारे,
बचपन केदोस्त , मां-बाप
और अपना घर
फिर कहीं यादों में समा जाता है
एक भूला हुआ शहर ।।

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1 NOV 2021 AT 19:01

यह जो ढेर है पैसों के आज
कल भी रहेंगे क्या भरोसा है
बड़े-बड़े घर हो और मखमली बिस्तर
मगर नींद चैन की ना ले पाए तो व्यर्थ पैसा है
चीजें छोटी ही सही मगर सुकून हो तो मजा है
यह जो अपनों की भीड़ है आज
पैसों के साथ चली जाएगी, फिर
पैसों वाली खुशी का क्या भरोसा है

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31 OCT 2021 AT 22:27

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31 OCT 2021 AT 8:17

जो दर्द बहुत देते हैं
बिना दिखे ।।

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30 OCT 2021 AT 21:00

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14 SEP 2021 AT 6:06

कुछ तो है जो टूटा है मुझमें
बिखरा बिखरा सा यूं ही तो नहीं मैं।।

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10 SEP 2021 AT 19:22

Father is visible God
In This Entire World
Love You Papa
Forever...... ❣️

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20 AUG 2021 AT 15:30

ऋतु बदलने का इंतजार नहीं रहता,
तुम्हारे प्यार की बारिश हो तो
हर मौसम सावन है मेरे लिए.....🎶

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20 AUG 2021 AT 15:27

विश्वास मत तोड़ना
फिर से
किसी का......😊

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11 AUG 2021 AT 0:17

*क्या तुम अब भी अंधेरों से डरते हो*

अंधेरों से डरते क्यों हो ?
एक मुसाफिर की नजर से देखो
कितनी शांत होती हैं ये रातें ,
प्रेरित करती हैं, एकाग्र चिंतन के लिए ,
स्वयं के बारे में सोचने के लिए ।
क्या कहा !
अकेले हैं हम
भाई गलत हो तुम ! काफिला खड़ा है,
जरा बालकनी से झांककर तो देखो ।
आहा !
खुला आसमा, आंचल में चमचमाते सितारे लिए
चांदनी की रौशनी में
तुमसे मिलने आई है ,
प्रकृति की एक झलक ।
देखो तो ,
ये रात भी कितना सजती सवरती है
हर रोज हमारे लिए ।
ऐसा लगता है वह भी आतुर है
बात करने को,
कहो ...........
क्या तुम अब भी अंधेरों से डरते हो

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