Piyush Khiyani   (Unexplored_Ink)
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Joined 15 November 2017


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Joined 15 November 2017
23 APR 2020 AT 1:37

गुनगुनाती सी कई शामें उसके साथ बिताई है,
अब वक़्त है उस हमसफ़र के साथ ज़िन्दगी बिताने का।
अपनी बोहोत सी बातें उसे कई दफा सुनाई है,
अब वक़्त है अपनी हर बात में सिर्फ उसे दोहराने का।
सपने तो रोज़ देखता हूं उसके में रातों में,
अब वक़्त है उसके साथ उन सपनों को हकीकत बनाने का।
वादे कई किए हैं उस हमसफ़र से मैंने,
अब वक़्त है उन वादों को साथ मिलकर निभाने का।

हां!!!
अब वक़्त है उस हमसफ़र के साथ ज़िन्दगी बिताने का।।

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15 DEC 2019 AT 23:47

चाय से जुड़े हैं कई किस्से हमारे भी,
चाहे हो दोस्ती की शुरुआत,
या किया हो हमने अपने प्यार का इज़हार,
चाहे वो दोस्तों के साथ टपरी की चाय हो,
या अपने हमसफ़र के हाथ से बनी हुई चाय,
कई रिश्तों में, कई रंगों में,
इस एक कप चाय ने कई सारे किस्से सुने हैं,
इस एक कप चाय ने कई सारे किस्से कहे हैं।

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12 JUN 2019 AT 22:54


सोचा तो था तुमसे मिलकर आगे बढ़ जाएंगे,
थामा जो हाथ तुमने, मंजिले वहीं ठहर सी गई।
बिखरे हुए थे हम तुमसे मिलने से पहले,
उस शाम मिलकर तुमसे, मानो ज़िन्दगी संवर सी गई।

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12 DEC 2018 AT 8:31


ए हमसफ़र, तेरी चाहत ने ही तो जीना सिखाया है।
मेरी हर सुबह को तूने ही खूबसूरत बनाया है।
हर दोपहर की भीड़ में जब मैंने खुद को तन्हा पाया है,
उस वक़्त तूने आकर पास मुझे सीने से लगाया है।
मेरी हर शाम को तूने अपने प्यार से सजाया है।
अंधेरी थी जो रातें तेरे आने से पहले,
उन्हें तूने आकर अपनी रोशनी से जगमगाया है।
कुछ इसी तरह,
ए हमसफ़र तेरी चाहत ने मुझे जीना सिखाया है।

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2 DEC 2018 AT 14:41

रात का गहरा सन्नाटा हो, या,
दोपहर की भीड़भाड़।
जिस्म को कंपकपाती सर्दी हो, या,
शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी।
वक्त चाहे कुछ भी हो,
ज़रूरत चाहे जैसी भी हो।
दिल ने जब भी किसी को पुकारा है,
लबों पर हमेशा तेरा ही नाम आया है।

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30 OCT 2018 AT 11:41

जब से शुरू हुई है गुफ्तगू आपसे,
दिल मेरा बहकने लगा है।
जब से देखा है चेहरा आपका,
तब से नजाने क्यूं मन मचलने लगा है।
ख्वाहिश है सिर्फ इतनी सी मेरी,
की साथ आपका हो उम्र भर।
सिर्फ इतना है कहना,
चाहता रहूंगा सारी ज़िन्दगी तुम्हे इस कदर।

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1 SEP 2018 AT 22:25


आया है जब से तू इस ज़िन्दगी में,
खफा हैं मेरी तन्हाइयां मुझसे।
तेरे प्यार का ये असर है कैसा,
जुड़ गई हैं मेरी परछाइयां तुझसे।

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16 JUN 2018 AT 23:58

ख़ामोश क़लम को यूं फिर जगा दिया है तुने।
दिल को मेरे फिर धड़का दिया है तुने।
मुस्कुराहट ही खो गई थी हमारी ज़िंदगी से,
ज़िन्दगी में आकर मुस्कुराना सीखा दिया है तुने।

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5 JUN 2018 AT 23:47

कल पुछा एक दोस्त ने कलम खामोश क्यों है तुम्हारी?
अब तुम ही बताओ कैसे ज़िक्र करुं उसके सामने तुम्हारी रुसवाई का।

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29 MAY 2018 AT 23:12

कोशिशें लाख की,
हां रोक लुं उसे अपने पास मैं,
लेकिन वह था तो एक बंजारा ही,
कितनी देर रुक ता आखिर एक ठिकाने पर।

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