कभी यूं भी तो हो ,
कि कोई मुझसा हवाओं के झोंको के साथ आये और कहे कि मैं तुम्हारे जज्बात समझती हूं, और डाल दे मेरे हिस्से की सारी खुशी मेरी झोली में, और कहे कि तुम जीना शुरू करो मैं साथ खड़ी हूँ ,हर कदम- हर मोड़ पे तुम्हारे साथ , कभी यूं भी तो हो
कि कोई इस नाफ़रमानी में हाथों में फ़रमान लिए आये और कहे कि सौंप चुकी हूं पूरी तरह तुम्हे खुदको ले चलो इस तैरती धरा से उन ठहरे आसमानों तक , हर सफ़र के हमसफ़र करार हो तुम !
कभी यूं भी तो हो ,
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