वक़्त ये हाथों में मेरे संभलता भी नहीं
तेरी फ़ुर्क़त में जो गुज़रता है, गुज़रता भी नहीं

मुश्किल है बहुत लम्हा वो बयाँ करना
आस में जो तेरी टूटता है, मरता भी नहीं

अजब सा जादू है ख़्याल में तुम्हारे
दिल जिससे छलकता है, भरता भी नहीं

साँसों की तरह तू शामिल है मुझमें
रहता भी है साथ ठहरता भी नहीं

- Piyush Mishra