"तुम्हारी जब किताब छपे ना, तो इस वाली कविता के नीचे मेरा नाम लिख देना" मेरी डायरी के पन्ने पलटते हुए कहा उसने.

"और बाकी कविताओं के नीचे?"

"अपने दुश्मन का नाम लिख देना" उसकी आँखों में कुढ़न दिख रही थी .

"पर उसके नाम तो ये वाली कविता कर दी ना!"

"मैं दुश्मन हूँ तुम्हारी?" आँखें तरेरते हुए कहा उसने।

"तुम्हें तो गुस्सा करना भी नहीं आता" हंस रहा था मैं, और वो... अब रो रही थी मुझसे लिपट कर!

- Piyush Mishra