स्याह अंधेरी ज़ुल्फ़ों में है उलझा जैसे चाँद कोई
ख़्वाबीदा सी दो आँखें हैं, आँखों में है ख़्वाब कोई
रात की ख़ुशबू साँसों में और साँस सहर से उलझी है
होंठों पर ख़ामोशी है और ख़ामोशी में बात कोई

- Piyush Mishra