सो जाता था जब मैं, माँ मुझे खिलाती थी
नाराज़ हुआ मैं जब भी, माँ मुझे मनाती थी
सहम जाता था नींद में, माँ गोद में उठाती थी
ज़रा सा दूर हुआ नज़रों से, माँ मुझे बुलाती थी

अक्सर अब मैं भूखा ही सोता हूँ
नाराज़ हुआ कोई तो अकेला रोता हूँ
सहमा हुआ सा मैं हर वक्त रहता हूँ
रातों में भी घर से दूर रहता हूँ

अब मुझे कोई गोद नहीं लेता बस रात सुलाती है
तन्हाइयों में मुझको माँ बहुत याद आती है

- Piyush Mishra